21 सितम्बर 2024 – आज के अवसर पर पूरी दुनिया में अल्ज़ाइमर रोग के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। यह दिवस समाज में अल्ज़ाइमर जैसी गंभीर और प्रगतिशील मस्तिष्क रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह रोग धीरे-धीरे स्मृति और अन्य मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति की सोचने और समझने की क्षमता नष्ट हो जाती है।
अल्ज़ाइमर एक गंभीर स्थिति है, लेकिन जागरूकता और सही जीवनशैली अपनाकर इसे रोका जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान और सक्रिय सामाजिक जीवन इस रोग से बचाव में सहायक हो सकते हैं।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के लक्षणों, बचाव के तरीकों और रोगियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के लिए प्रेरित करना है। आइए, हम सब संकल्प लें कि एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंगे और इस बीमारी पर काबू पाने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे।
अल्ज़ाइमर (Alzheimer’s) एक प्रगतिशील मस्तिष्क रोग है जो व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और अन्य मानसिक कार्यों को धीरे-धीरे प्रभावित करता है। यह रोग समय के साथ बढ़ता जाता है, जिससे व्यक्ति के रोजमर्रा के काम करने की क्षमता कम होती जाती है। यह डिमेंशिया (Dementia) का सबसे सामान्य रूप है।
अल्ज़ाइमर होने पर व्यक्ति को चीज़ें भूलने लगती हैं, नई जानकारी को याद रखने में कठिनाई होती है, और समय के साथ बातचीत और व्यवहार में भी बदलाव आने लगते हैं। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क की कोशिकाओं के क्षरण और उनके आपस में संपर्क खोने के कारण होता है।
हालांकि इसका इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन शुरुआती चरणों में इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय और दवाइयां दी जाती हैं, जिनसे रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।
अल्ज़ाइमर रोग दुनियाभर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, और इससे प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ प्रमुख आँकड़े इस प्रकार हैं:
1. विश्व स्तर पर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 5.5 करोड़ (55 मिलियन) लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिसमें सबसे सामान्य रूप अल्ज़ाइमर का है।
2050 तक यह संख्या लगभग 13.9 करोड़ (139 मिलियन) तक पहुँचने का अनुमान है, क्योंकि जनसंख्या वृद्ध हो रही है।
2. भारत में:
भारत में लगभग 40 लाख (4 मिलियन) लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और इनमें से अधिकांश मामलों में अल्ज़ाइमर प्रमुख कारण है।
देश में बढ़ती वृद्ध जनसंख्या के कारण यह संख्या भी आने वाले वर्षों में बढ़ने की उम्मीद है।
अल्ज़ाइमर के मामले अधिकतर बुजुर्गों में पाए जाते हैं, विशेषकर 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में, लेकिन यह बीमारी कभी-कभी कम उम्र में भी हो सकती है, जिसे अर्ली-ऑनसेट अल्ज़ाइमर कहा जाता है।
इसका बढ़ता प्रसार यह दर्शाता है कि लोगों में इस रोग के प्रति जागरूकता और सही समय पर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की बहुत ज़रूरत है।